एक समय था जब सूर्यदेव सिंह से बात करने सिंह मैंशन जाते थे तो उन दिनों महिलाएं सामने वाले बैठकी में नहीं आती थी। प्रवेश ‘वर्जित’ नहीं था, परन्तु सम्मान के कारण महिलाएं कक्ष में नहीं आती थी। सूर्यदेव सिंह के ज़माने में झरिया में महिला मतदाता तो थी, बहुत सम्मान करते थे सूर्यदेव सिंह और उनके सभी भाई, कार्यकर्त्ता; लेकिन महिला राजनीति में नहीं थी। पुरुषों का प्रभुत्व था। आज समय बदल गया है।सन 2019 के चुनाव में ही झरिया में सूर्यदेव सिंह गलत सिद्ध हो गए, परंपरा 2024 चुनाव में भी जारी है। सवाल यह है कि क्या आगामी 20 नवम्बर, 2024 को होने वाले चुनाव में भाजपा के रागिनी सिंह अपने प्रतिद्वंदी को हराने के लिए पिछले चुनाव का 8+ फीसदी कम मत को पूरा कर आगे बढ़ पाएंगी? क्या पूर्णिमा नीरज सिंह पिछले पांच वर्षों में कुछ ऐसे कार्य किये जिससे झरिया के मतदाता पुनः उन्हें चुने ? सवाल बहुत बड़ा है और जबाव भविष्य के गर्भ में जिसपर से पर्दा 23 नवंबर को मतगणना के बाद ही उठेगा।
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