पहली बार 44.43 करोड़ का लाभांश देने के साथ बीसीसीएल ने किया 1100 करोड़ का पूंजीगत व्यय…
अंकुर सिन्हा की रिपोर्ट

ईंधन की बचत सुनिश्चित की है. इसके अलावा वाशरी उप-उत्पादों के निपटान में भी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है. साथ ही 25 वर्षों के लिए दुग्धा वाशरी को 762 करोड़ में पट्टे पर दिया. इसके अलावा 15% की वृद्धि के साथ कच्चे कोयले की फीडिंग 56 लाख टन तक पहुंच गयी है.
डिजिटल परिवर्तन से कार्यों में दक्षता व पारदर्शिता बढ़ी :
बीसीसीएल ने संचालन को बेहतर बनाने के लिए सैप-बीजी मॉड्यूल व इआरपी सिस्टम में नवाचार किए है. जिससे कंपनी के कार्यों में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ी है. इसके अलावा कंपनी ने आरएफआइडी-आधारित स्वचालित रोड वेब्रिज व इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर (आइसीसीसी) की मदद से ई-सुरक्षा और निगरानी में सुधार किया है.
प्रशिक्षण प्रदान कर 200 युवाओं को रोजगार से जोड़ा :
बीसीसीएल ने सीएसआर कार्यक्रमों के तहत 21.89 करोड़ रुपये खर्च किए. कंपनी ने युवाओं को रोजगार और समुदाय का सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. बीसीसीएल ने 200 परियोजना प्रभावित व्यक्तियों (पीएपी) से संबंधित युवाओं को सिपेट के माध्यम से पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग में प्रशिक्षण दिलवाया है. जिनमें से सभी को रोजगार मिला. इसके अलावा 79 स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं व आइसीटी लैब स्थापित की गईं. साथ ही 5 स्कूलों में व्यावहारिक शिक्षा का कार्यक्रम भी चलाया गया.
उत्पादन में एक बिलियन टन का आंकड़ा पार :
कोल इंडिया भले ही दूसरी बार अपने वार्षिक उत्पादन लक्ष्य से पिछड़ गयी है. परंतु कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2024-25 में एक बिलियन टन कोयला उत्पादन का आंकड़ा पार कर एक नया आयाम स्थापित कर लिया है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में देश में कुल 1041.74 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.99 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है. वाणिज्यिक, कैप्टिव और अन्य संस्थाओं ने भी 197.50 मीट्रिक टन का शानदार कोयला उत्पादन दर्ज किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 28.11 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. इसी तरह, कोयला ढुलाई में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है, वित्त वर्ष 2024-25 में संचयी कोयला ढुलाई भी एक बिलियन टन का आंकड़ा पार कर गयी है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 973.01 मीट्रिक टन की तुलना में 1024.99 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जो 5.34 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है. वाणिज्यिक, कैप्टिव और अन्य संस्थाओं से डिस्पैच में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गयी, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 31.39 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 196.83 मीट्रिक टन (अनंतिम) तक पहुंच गया, जो 149.81 मीट्रिक टन दर्ज किया गया था.