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माटीगढ़ा डैम: अपार संभावनाओं के बावजूद विकास अधूरा

सोनू कुमार की रिपोर्ट

माटीगढ़ा डैम, धनबाद और बोकारो के बॉर्डर पर स्थित एक आकर्षण प्राकृतिक स्थल है, जो अपनी सुंदरता और आकर्षण के लिए है। यह डैम जमुनिया नदी के पानी से भरा रहता है, जो आगे चलकर दामोदर नदी में मिल जाता है। हालांकि, इस डैम में पर्यटन स्थल के रूप में अपार संभावनाएं होने के बावजूद, इसका विकास आज तक नहीं हो सका है। तीन साल पहले बाघमारा के पूर्व विधायक और वर्तमान सांसद ढल्लू महतो ने इसे पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की थी, लेकिन यह योजना अभी तक अधूरी है। डैम का प्राकृतिक सौंदर्य सैलानियों को बेहद आक्रषित करता है। 25 दिसंबर से यहां पर्यटकों का आना-जाना शुरू हो जाता है और जनवरी की शुरुआत में यह स्थल हजारों सैलानियों से भर जाता है। यहां का शांत और सुंदर वातावरण, बड़ी चट्टानों और बालू के टीलों के बीच बैठने और घूमने का अनुभव सपना जैसा होता है। 50 फीट की ऊंचाई से गिरते पानी का दृश्य मन मोह लेता है। सूर्योदय और पहाड़ी की ओट में डूबते सूरज की स्वर्णिम किरणों से प्रतिबिंबित जल का दृश्य सैलानियों को आकर्षित करता है। डैम के पास गोवर्धन पर्वत, जामुनिया काली मंदिर, और रेस्टोरेशन इकोलॉजिकल रेस्टोरेशन पार्क स्थित हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं। पर्यटक यहां पिकनिक मनाने के साथ-साथ इन स्थलों का भी आनंद उठाते हैं। डैम के पास 185 लाख गैलन क्षमता वाला एक टैंक भी बना है, जिससे बीसीसीएल के एरिया वन और ब्लॉक टू की कॉलोनियों में जलापूर्ति होती है। इस टैंक पर चढ़कर पर्यटक प्राकृतिक सुंदरता का दृश्य देख सकते हैं। सरवन कुमार महतो के अनुसार, माटीगढ़ा डैम में पिकनिक के लिए पर्याप्त स्थान और सुविधाएं उपलब्ध हैं। यह स्थल धनबाद और बोकारो दोनों जिलों के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है। 1 जनवरी को यहां हजारों की संख्या में लोग पिकनिक मनाने आते हैं। इस डैम के शांत और खुबसूरत वातावरण में समय बिताने का अनुभव एक सपने से कम नहीं होता है। माटीगढ़ा डैम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं। यदि इसे सही दिशा में संवारा जाए तो यह धनबाद और बोकारो के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन सकता है। पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र विकास की प्रतीक्षा कर रहा है।

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